योग क्या है ? इसे समझने के लिए हमें विख्यात दार्शनिकों और ज्ञानियों वक्तव्य को जानना होगा। जिन्होंने अपने -अपने हिसाब से योग को परिभाषित किया है:
“योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म हमें खूंटे से बांधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है।“ – ओशो
“चित्तवृत्तिनिरोध: यानी चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग है। आसान भाषा में कहें तो मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है।“ – पतंजलि
“योग विस्मरण में दफन एक प्राचीन मिथक नहीं है। यह वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति है।” – स्वामी सत्यानंद सरस्वती
“योग सिर्फ व्यायाम और आसन नहीं है। यह भावनात्मक एकीकरण और रहस्यवादी तत्व का स्पर्श लिए हुए एक आध्यात्मिक ऊंचाई है, जो आपको सभी कल्पनाओं से परे की कुछ एक झलक देता है।“ – श्री श्री रवि शंकर
यदि आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो यकीन मानिए आप एक बेहतरीन जीवन जी रहे हैं। हालांकि, जिसे से भी पूछो, तो वो कोई न कोई परेशानी गिनाने ही लगता है। कोई कोई तनाव भरी जिंदगी जी रहा है, तो कोई शारीरिक रूप से बीमार है । इस स्थिति से ऊपर आने का एकमात्र उपाय योग है। बेशक, आप में से बहुतों के लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल होगा, लेकिन अब कई वैज्ञानिक शोध से पुष्टि हो चुकी है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग अच्छा विकल्प है। इस लेख में हम एक साथ योग के बारे में वो सभी तमाम जानकारियां देंगे, जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं।
1. योग क्या है? – What is Yoga in Hindi?
2. योग के लाभ – Benefits of Yoga in Hindi
3. योग के नियम – Rules of Yoga in Hindi
4. योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi
5. योग कब करें या योग करने का सही समय क्या है? – What is the correct time to practice Yoga in Hindi?
6. योग अभ्याश शुरू करने से पहले सही मानसिक स्थिति क्या है? – What is the correct mental state before starting Yoga practice in Hindi?
7. योगाभ्यास के लिए कुछ और टिप्स –Tips for Yoga practice in Hindi
8. अच्छे योगाभ्यास के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहियें? – What precautions to take for good Yoga practice in Hindi?
योग क्या है? – What is Yoga in Hindi?
योग क्या है, यह जानने के लिए हमें इसके मूल को जानना होगा। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है, जिसका अर्थ जुड़ना है। योग के मूल रूप से दो अर्थ माने गए हैं, पहला- जुड़ना और दूसरा-समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ पाते, तब तक समाधि के स्तर को प्राप्त करना मुश्किल होता है। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह सिर्फ व्यायाम भर नहीं है, बल्कि विज्ञान पर आधारित शारीरिक क्रिया है। इसमें मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य कायम होता है। यह जीवन को सही प्रकार से जीने का एक मार्ग है। योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक,आदि सभी पहलुओं पर काम करता है।
योग सबसे पहले लाभ पहुँचाता है बाहरी शरीर को, जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआती जगह है। जब इस स्तर पर असंतुलन का अनुभव होता है, तो अंग, मांसपेशियां और नसें सद्भाव में काम नहीं करते हैं, बल्कि वे एक-दूसरे के विरोध में कार्य करते हैं।
बाहरी शरीर के बाद योग हमारे मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम करता है। दैनिक जीवन के तनाव और बातचीत के परिणामस्वरूप बहुत से लोग अनेक मानसिक परेशानियों से ग्रसित रहते हैं। योग इनका इलाज तुरंत नहीं प्रदान करता लेकिन इनसे मुकाबला करने के लिए यह उपर्युक्त विधि है।
योग के लाभ – Benefits of Yoga in Hindi
शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह आत्मिक , आध्यात्मिक ,एकीकरण और सद्भाव के सिद्धांतों पर काम करता है।
योग तीन स्तरों पर काम करते हुए आपको फायदा पहुंचाता है। इस लिहाज से योग करना सभी के लिए अवश्यक है।
- प्रथम चरण में यह मनुष्य को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हुए उसमें ऊर्जा भरने का काम करता है।
- दूसरे चरण में यह मस्तिष्क व विचारों पर असर डालता है। हमारे नकारात्मक विचार ही होते हैं, जो हमें तनाव, चिंता या फिर मानसिक विकार में डाल देते हैं। योग इनसब से बाहर निकालने में हमारी मदद करता है।
- योग का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण में पहुंचकर मनुष्य चिंताओं से मुक्त हो जाता है। योग के इस अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम की जरूरत होती है। इस प्रकार योग के लाभ विभिन्न स्तर पर मिलते हैं।
आइए, अब जानते हैं कि योग किस प्रकार हमें स्वस्थ बनाएं रखता है।
योगासन के आंतरिक स्वास्थ्य लाभ – Internal Health Benefits of Yoga in Hindi
बेहतर श्वसन प्रणाली : हमारे श्वसन प्रणाली में आया कोई भी विकार हमें बीमार करने के लिए काफी है। ऐसे में योग हमें बताता है कि हमारे जीवन में स्वास का क्या महत्व है, क्यों कि प्रत्येक योगासन सांसों पर ही आधारित होता है। और जब आप योग करते हैं, तो फेफड़े पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं, जिससे हमारी श्वसन प्रणाली बहतर हो जाता है।
अपच व गैस से राहत : योग के लाभ में गैस से छुटकारा पाना भी है। गैस की समस्या किसी को भी हो सकती है। आज काल इसमें बच्चे, बुढ़े, महिला, पुरुष आदि सभी शामिल हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने के कारण होती है। इसे ठीक करने के लिए योग एक बेहतरीन उपाय है। योग पाचन तंत्र को बेहतर करता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो सकती हैं। तथा दवाओ से छुटकारा मील जाता है।
रक्त प्रवाह : जब शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है, तो सभी अंग बेहतर तरीके से काम करते हैं। और साथ ही शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है। रक्त प्रवाह के असंतुलित होते ही शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार होने लगती है, जैसे – ह्रदय खराब लिवर, किडनी, मस्तिष्क का ठीक से काम न करना आदि। ऐसे में योग करने से रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होने लगता है और सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
संतुलित रक्तचाप : आज काल गलत जीवनशैली के कारण कई लोग रक्तचाप की समस्या से पीड़ित हैं। अगर आपको भी बी.पी से जुड़ी कोई परेशानी है, तो आज से ही किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में योग करना शुरू कर दें। क्योंकि प्राणायाम करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिलती है और तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। साथ ही ह्रदय गति सामान्य है और रक्तचाप भी सामान्य होने लगता है ।
रोग – प्रतिरोधक क्षमता : बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना बहुत जरूरी है। प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने से शरीर विभिन्न रोग का आसानी से शिकार बन जाता है। आप चाहे स्वस्थ हैं या नहीं हैं, दोनों ही स्थिति में योग करना फायदे का अवश्य मिलता है । योग से शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर होती है।
नवीन ऊर्जा का संचार: जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने और काम करने के लिए शरीर में ऊर्जा का बना रहना जरूरी है। इसमें योग आपकी मदद करता है। योग को करने से थकावट दूर होती है और शरीर नई ऊर्जा का संचार होता है और ताजगी से भर जाता है।
दर्द में कमी : हमारे शरीर में कहीं भी और कभी भी दर्द हो सकता है। खासकर, जोड़ों में दर्द को सहना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्यों की जब आप उठते या बैठते हो तो हमरे जोड़ो में असहनीय दर्द होने लगता है, जब आप योग करना शुरु करते हो तो हमारे शरीर में शुरुआत में इस दर्द को सहने की शारीरिक क्षमता बढ़ने लगती है। साथ ही नियमित अभ्यास के बाद यह दर्द कम होने लगता है।
बेहतर मेटाबॉलिज्म : हमारे शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया जरूरी है। इस प्रक्रिया से ही शरीर को भोजन के जरिए ऊर्जा मिलती है, जब पाचन तंत्र, लिवर और किडनी अच्छी तरह काम करते हैं, तो मेटाबॉलिज्म भी ठीक से काम करता है। इस अवस्था में योग का लाभ इसलिए होता है, क्योंकि योग अपच और कब्ज को ठीक कर शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर करता है।
ट्राइग्लिसराइड्स में कमी : नियमित रूप से योग करने से ट्राइग्लिसराइड्स की बढ़ी मात्रा को संतुलित किया जा सकता है । ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाने वाला एक तरह का फैट है, जिसके बढ़ जाने से यह ह्रदय रोग व स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसे कम करने के लिए नियमित योग करना जरूरी है। क्यों की योग करने से ह्रदय की गति थोड़ा बढ़ती है, जिस कारण ट्राइग्लिसराइड्स जैसी स्थिति से बचाव होता है।
लाल रुधिर कोशिकाओं में वृद्धि : हमारे शरीर में लाल रुधिर कोशिकाओं का अहम योगदान होता है। ये फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर पूरे प्रत्येक अंग तक पहुंचाती हैं। लाल रुधिर कोशिकाओं की कमी से एनीमिया तक हो जाती है । नियमित रूप से योग करने से से शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है।
ह्रदय रोगों से बचाव : हम सबी जानते है की ह्रदय हमारे शरीर का नाजुक हिस्सा है। गलत दिनचर्या , खानपान, असंतुलित और तनाव का सीधा असर आपके ह्रदय पर होता है। आगे चलकर ह्रदय से जुड़ी कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इससे बचाव का बेहतरीन तरीका योग है। नियमित योग व स्वस्थ खानपान से ह्रदय मजबूत रहता है।
बेहतर नींद : दिनभर ऑफिस या हर का काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर आराम मिलता है तथा शरीर की मांसपेसियो की मरमत होती है जिससे अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। पर्याप्त नींद न लेने पर दिनभर बेचैनी, सिरदर्द, आंखों में जलन और तनाव सा बना रहता है। अगर वहीं, आप नियमित योग करते हैं, तो मन शांत होता है और तनाव से छुटकारा मिलता है।
कोलेस्ट्रॉल के संतुलित में : जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि योग करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इससे नसों में रक्त का थक्के नहीं बन पाते और शरीर की अतिरिक्त चर्बी भी कम हो जाती है। योग एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जबकि एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है। इसी के साथ संतुलित आहार लेना भी जरूरी है।
सोडियम को नियंत्रित करता है : हम कई बार बाहर का जंक फूड खा लेते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है। शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ने से ह्रदय रोग या फिर गुर्दे की बीमारी हो सकती है। इससे बचने के लिए सबसे पहले तो हमे इस तरह का खाना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए । साथ ही नियमित रूप से योग करने से सोडियम की बढ़ी मात्रा को संतुलित किया जा सकता है ।
अस्थमा से बचाव : अस्थमा के होने पर श्वास की नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी हिने लगती है। जरा-सी धूल-मिट्टी, धुएं में भी हमारा दम घुटने लगता है। अगर आप इस अवस्था में नियमित योग करते हैं, तो आपके फेफड़ों पर जोर पड़ता है और वो अधिक क्षमता के साथ काम करते हैं।
माइग्रेन : अगर कोई माइग्रेन का मरीज नियमित किसी योग्य योग प्रशिक्षक के सलाह व निरीक्षण में योग योग करता है, तो उसे सिर में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है और सिर तक पर्याप्त में ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे माइग्रेन से होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
ब्रोंकाइटिस : मुंह, नाक और फेफड़ों को बीच हवा मार्ग को श्वास नली कहते हैं। जब इसमें सूजन आ जाती है, तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है। योग इस सूजन को दूर कर सांस लेने में आपकी मदद करता है। योग के जरिए फेफड़ों से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। साथ ही फेफड़ों में नई ऊर्जा का संचार होता है।
अर्थराइटिस में लाभ: गठिया होने पर जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाती है। इस अवस्था में डेली के काम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में योग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। किसी योग्य योग प्रशिक्षक के सलाह व निरीक्षण में योग करने से जोड़ों में आई सूजन और दर्द कम होने लगता है।
कैंसर में लाभ: योग करने से कैंसर पूरी तरह से ठीक हो जाता है या नही यह कहना बुस्किल है ।लेकिन हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि योग के जरिए कैंसर जैसी बीमारी से उबरने में मदद मिलती है। योग करने से कैंसर के मरीज में मौजूद विषैले जीवाणु खत्म हो सकते हैं इसके अलावा, कीमियो थेरेपी के दौरान होने वाली मतली व उल्टी जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है।
कब्ज से राहत : कब्ज एक ऐसी बीमारी है, जो अन्य बीमारियों के होने का कारण बनती है। पाचन तंत्र में समस्या आने पर कब्ज होती है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयों से बेहतर योग होता है। योग के जरिए कब्ज जड़ से खत्म हो जाती है। योग सबसे पहले पाचन तंत्र को ठीक करता है , जिससे कब्ज अपने आप ठीक हो जाएगी और आप तरोताजा व हल्का महसूस करेंगे।
साइनस व अन्य एलर्जी में : भारत में ज्यदातर लोग साइनस करण परेसान है , साइनस के कारण नाक के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस समस्या के लिए भी योग हर लिहाज से बेहतर है। इस बीमारी में योग यानी प्राणायाम करने से नाक व गले की नलियां में आई रुकावट दूर होती है और सांस लेना आसान हो जाता है व योग से अन्य प्रकार की एलर्जी को भी योग से ठीक किया जा सकता है।
बांझपन व रजोनिवृत्ति में राहत : आज के इस परिवेश में गलत खान पान या किसी बीमारी के कारण अगर कोई प्रजनन क्षमता में कमी आई है तो उसको को बेहतर करना चाहता है, तो इसके लिए भी योग में कुछ आसन का वर्णन किया गया है। योग के जरिए शुक्राणु कम बनने की समस्या, यौन समस्या, फैलोपियन ट्यूब में आई कोई रुकावट या समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति से पहले और उस दौरान नजर आने वाले नकारात्मक लक्षणों को भी योग के माध्यम से धीरे धीरे ठीक किया जा सकता है।
योगासन के बाहरी स्वास्थ्य लाभ – External Health Benefits of Yoga in Hindi
योग चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर कम करता है : कुछ लोगों के चेहरे पर समय से पहले ही बढ़ती उम्र का असर नजर आने लगता है। इससे बचने के लिए रोजाना योग करना चाहिए ,जो लोग योग करते है उनके चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों को कम किया जा सकता है। योग के जरिए शरीर में जमा विषैले पदार्थ व फ्री रेडिकल्स का भी सफाया हो जाता है। तनाव भी समय से भी छरहरे पर बुढ़ापे का असर नजर आने लगता है, लेकिन योग इससे से भी बचा सकता है।
वजन संतुलित में : आज कल हर कोई मोटापे का शिकार है। इसका कारण अहि उनका गलत खानपान और दिनचर्या । पाचन तंत्र बेहतर न होना ही हर बीमारी की जड़ है। इससे निपटने का आसान और बेहतरीन तरीका योग ही है। अगर आप नियमित रूप से योग करते हैं, तो कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर होती हैं और पाचन तंत्र बेहतर होता है व धीरे-धीरे वजन नियंत्रण होने लगता है।
हड्डियां व मांसपेशियां की क्षमता का बढ़ना : गलत तरीके से उठने-बैठने और चलने-फिरने से शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है। इस वजह से शरीर में जगह-जगह दर्द, मांसपेशियों में विकार और हड्डियां कमजोर होने लगती है , नियमित रूप से योग करने से हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर का शेप बेहतर होता है और शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है।
मांसपेशियों में सुधार : योग करने से शरीर समग्र मांसपेशियों की गतिविधि में सुधार होता है। व मजबूत होती हैं और इनमें लचीलापन आता है।
सहनशीलता में वृद्धि : योग हमें सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। जिससे हमरे शरीर की सहनशील में वृद्धि होती हैं। इसलिए योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें।
सुडौल शरीर : योगासन सिर से लेकर पांव तक शरीर को संतुलित बनाता है और मानसिक एवं आत्मिक रूप से भी आपको मजबूत बनाता
योग के नियम – Rules of Yoga in Hindi
योग करने से पहले और करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं , अगर आप यह कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य योग अभ्यास का पूरा लाभ पाएँगे:
- सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है।
- योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
- योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
- आरामदायक सूती कपड़े पहनें।
- तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए – योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
- किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।
- अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
- योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
- योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए।
- जो लोग पहली बार योगासन कर रहे हैं, उन्हें शुरुआत में हल्के योग के आसन करने चाहिएं और किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। फिर जैसे-जैसे इनके अभ्यस्त हो जाएं, तो अपने स्तर को बढ़ाते जाएं।
- अगर आप शाम को योग कर रहे हैं, तो भोजन करने के करीब तीन-चार घंटे बाद ही करें। साथ ही योग करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं।
- योगासन करने के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए, बल्कि कुछ देर इंतजार करना चाहिए।
- अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
- निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
- योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
- योग के दौरान कभी भी ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि योग करते समय शरीर गर्म होता है। इसलिए, ठंडे पानी की जगह साधारण या हल्का गुनगुना पानी ही पिएं।
- सभी योगासन सांस लेने और छोड़ने पर निर्भर करते हैं, जिसका पूर्ण ज्ञान होना अवश्यक है। संभव हो तो पहले इस बारे में सीख लें, उसके बाद ही स्वयं से करें।
- अगर आप बीमार या गर्भवती हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसे करें। साथ ही योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में इसे करें।
योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi
हालांकि, ये ठीक-ठीक कहना तो मुश्किल है कि योग के प्रकार कितने हैं, लेकिन हम यहां आमतौर पर चर्चा में आने वाले कुछ प्रकारों के बारे में बता रहे हैं :
योग के 4 प्रमुख प्रकार या योग के चार रास्ते हैं:
राज योग:
क्योंकि इसमें सभी प्रकार के योगों की कोई न कोई खासियत जरूर है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ समय निकालकर आत्म-निरीक्षण किया जाता है। यह ऐसी साधना है, जिसे हर कोई कर सकता है।
योग की सबसे अंतिम अवस्था समाधि को ही राजयोग कहा गया है। इसे सभी योगों का राजा माना गया है, राज का अर्थ शाही है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, महर्षि पतंजलि ने इसका नाम अष्टांग योग रखा है और योग सूत्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया है। उन्होंने इसके आठ प्रकार बताए हैं, जो इस प्रकार हैं :
- यम (शपथ लेना)
- नियम (आत्म अनुशासन)
- आसन (मुद्रा)
- प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
- प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)
- धारणा (एकाग्रता)
- ध्यान (मेडिटेशन)
- समाधि (बंधनों से मुक्ति या परमात्मा से मिलन)
कर्म योग:
अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यानी कुशलतापूर्वक काम करना ही योग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वो हमारे पूर्व कर्मों पर आधारित होता है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते हैं, कर्म योग के जरिए मनुष्य किसी मोह-माया में फंसे बिना सांसारिक कार्य करता जाता है और अंत में परमेश्वर में लीन हो जाता है। कर्म आत्म-आरोही कार्रवाई का मार्ग है। गृहस्थ लोगों के लिए यह योग सबसे उपयुक्त माना गया है।
ज्ञान योग:
यह ज्ञान और स्वयं से परिचय करने का जरिया है। अगर हम भक्ति को मन का योग मानते हैं, तो ज्ञान योग को बुद्धि का मार्ग माना गया है। ऋषि या विद्वान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के लिए योग के ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। आत्मा की शुद्धि ज्ञान योग से ही होती है। चिंतन करते हुए शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर लेना ही ज्ञान योग कहलाता है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है। इसमें गंभीर अध्ययन करना होता है और उन लोगों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक हैं।
भक्ति योग:
भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। भक्ति का अर्थ दिव्य प्रेम और योग का अर्थ जुड़ना है। ईश्वर, सृष्टि, प्राणियों, पशु-पक्षियों आदि के प्रति प्रेम, समर्पण भाव और निष्ठा को ही भक्ति योग माना गया है। भक्ति योग में कोई किसी न किसी को अपना ईश्वर मानकर उसकी पूजा करता है, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। भक्ति का मार्ग हमें सभी के लिए स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान करता है।
योग करने का सही समय क्या है? – What is the correct time to practice Yoga in Hindi?
- योग विज्ञान में दिन को चार हिस्सों में बांटा गया है, ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय, दोपहर व सूर्यास्त। इनमें से ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय को योग के लिए सबसे बेहतर माना गया है।
- ऐसा माना जाता है कि अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर योग करते हैं, तो सबसे ज्यादा फायदा होता है। उस समय वातावरण शुद्ध होता है और ताजी हवा चल रही होती है। अमूमन आध्यात्म ज्ञान प्राप्त करने वाले ही इस समय योगाभ्यास करते हैं।
- अगर दिन का कोई समय योग के लिए निर्धारित कर लें, तो यह उत्तम होगा।
- सब आसन किसी योगा मैट या दरी बिछा कर ही करें।
- ध्यान रहे कि योगासन हमेशा खाली पेट ही करें।
- आप सूर्यास्त के बाद भी योग कर सकते हैं, लेकिन उससे तीन-चार घंटे पहले तक आपने कुछ न खाया हो।
- आप योग किसी खुली जगह जैसे पार्क में कर सकते हैं, या घर पर भी। बस इतना ध्यान रहे की जगह ऐसी हो जहाँ आप खुल कल साँस ले सकें।
योग अभ्याश शुरू करने से पहले सही मानसिक स्थिति क्या है? – What is the correct mental state before starting Yoga practice in Hindi?
योग हमारे शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है। इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए अपने शरीर को तैयार करना भी जरूरी है। योग आसन हमेशा मन को शांतिपूर्ण अवस्था में रख कर किए जाने चाहिए। स्थिरता और शांति के विचार के साथ अपने मन को भरें और अपने मन से सभी गलत विचारों को निकाल दें। अपने विचारों को बाहारी दुनिया से दूर कर स्वयं पर केंद्रित करें। अगर थकान ज़्यादा हो तो केवल रिलैक्स करने वाले आसन ही करें।
योगासन के लिए कुछ और टिप्स – Tips for Yoga in Hindi
अगर आप योगाभ्यास जीवन में पहली बार शुरू कर रहे हैं या योग से ज़्यादा परिचित नहीं हैं, तो इन बातों का ख़ास ध्यान रखें:
- आप सोच-समझ कर अच्छे योग टीचर का चुनाव करें। इसमें कोई जल्दबाजी न दिखाएं।
- योग करते समय हमेशा अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें।
- जब भी पद्मासन या सुखासन में बैठें, तो कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
- सांस को मुंह से छोड़ें और नाक से लें।
- किस अवस्था में कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है, उसका पूरा ज्ञान होना चाहिए।
- जितना आपका शरीर साथ दे, उतना ही योगासन करें। नियमित अभ्यास करने से ही आपके शरीर में लचीलापन आएगा।
- अगर आप पहले-पहले आसन ठीक से नहीं कर पा रहे हों तो चिंता ना करें। सभी आसान दोहराव के साथ आसान हो जाएँगे।
- जिन मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव कम है, वह सब धीरे-धीरे लचीले हो जाएँगे।
- अपने शरीर के साथ जल्दबाज़ी या ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- कौन, कैसे कर रहा है, उस पर ध्यान दें। हर किसी के शरीर की अपनी सीमा होती है।
- स्वस्थ शरीर के लिए योग के साथ-साथ संतुलित भोजन भी करें।
- अगर आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो एक बार अपने योग टीचर से जरूर पूछ लें। कुछ गलत करने से बेहतर है कि आप उस बारे में बात करें। अगर आप कोई योग आसन गलत तरीके से करते हैं, तो आपको फायदे की जगह हानि हो सकती है।
अच्छे योगाभ्यास के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहियें? – What precautions to take for good Yoga practice in Hindi?
- अपने ख़ान-पान में संयम बरते। समय से खाएं-पीए।
- 10 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को ज़्यादा कठिन आसन ना करायें। किसी गुरु के निर्देशन में ही योग करें।
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। किंतु आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार आपको मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास सूट करता है या नहीं।
- गर्भावस्था के दौरान योग किसी गुरु की देखरेख में करें तो बेहतर होगा।
- नींद ज़रूर पूरी लें। शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ विश्राम की भी जरूरत होती है। इसलिए समय से सोए।
- अगर आपको तंबाकू या धूम्रपान की आदत है, तो योग अपनायें और यह बुरी आदत छोड़ने की कोशिश करें।
सावधानी : अगर आप पहली बार योग कर रहे हैं, तो प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें। वह आपकी उम्र, बीमारी व क्षमता के अनुसार ही उपयुक्त योगासन बताएगा। कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें कुछ योग आसन वर्जित है, तो बेहतर यही होगा कि आप योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।